कोरोना वायरस पर विजय पाने में जिस तरह से भीलवाड़ा ने प्रयास किए हैं आज सारी दुनिया के सामने यह प्रयास भीलवाड़ा माॅडल Corona epidemic and Bhilwara model के रुप में उभर कर आया है।
शुरुआत दौर में ही भीलवाडा के एक निजी अस्पताल के चिकित्सक की मामूली भूल बड़े संकट का कारण बन गई थी और जिस तरह से शुरुआती दौर में भीलवाड़ा एपीसेंटर बनकर उभरा और समूचा देश भीलवाड़ा की और कातर दृष्टि से देखना आंरभ किया ठीक उसी समय से राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की क्लोजली मोनेटरिंग और समन्वय का परिणाम रहा कि स्थानीय प्रशासन के समन्वित प्रयासों से भीलवाड़ा आज समूचे देश के सामने राॅल माॅडल के रुप में उभर कर आया है।
दरअसल देखा जाए तो भीलवाड़ा ने सुरक्षा मापदण्डों को कड़ाई से लागू करने के साथ ही योजनावद्ध तरीके से इस संकट से समूचे जिले और प्रदेश को सक्रमित होने से बचाने के कारगर प्रयास किए। जहां एक और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत Chief Minister Ashok Gehlot समूचे प्रदेश के साथ ही भीलवाड़ा की स्थिति की क्लोज मोनेटरिंग में जुटे रहे वहीं राज्य के स्वास्थ्य विभाग, गृह विभाग व आपदा प्रबंधन विभाग और स्थानीय प्रशासन में समन्वय का अनूठा उदाहरण देखने को मिला। आज यह आंकड़ा 27 पर आकर टिक गया है और अच्छी बात यह है कि पिछले दिनों से जिले में एक भी पोजेटिव प्रकरण सामने नहीं आया है। दरअसल कोरोना वायरस Corona virus के कारण उत्पन्न स्थिति से निपटने के लिए जिस तरह की रणनीति अपनाई गई वह अपने आपमें कारगर सिद्ध हुई। यही कारण है कि केन्द्रीय केबिनेट सचिव राजीव गौबाCentral Cabinet Secretary Rajiv Gauba आज भीलवाड़ा को पूरे देश में रोल माॅडल के रुप में देख रहे हैं।
कोरोना वायरस की भयावहता को नकारा नहीं जा सकता। देश के लगभग सभी प्रदेश लाॅक डाउन कर कोरोना के खिलाफ किलेबंदी में जुट गए हैं। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने समय रहते कोरोना की भयावहता को समझा और उसी का परिणाम रहा कि प्रदेश में 31 मार्च तक के लिए लाॅकडाउन की घोषणा की गई बाद में समूचे देश में इसे 14 अप्रेल तक बढ़ा दिया गया। राजस्थान की पहल को देखते देखते देश के अन्य राज्यों ने लाॅकडाउन घोषित कर कोरोना को तीसरे स्टेज पर पहुंचने से रोकने के लिए एकजुट हो गए। भीलवाड़ा के निजी हास्पिटल के चिकित्सक की एक गलती ने इसे कोरोना जोन बना दिया पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नेतृत्व में सरकार और मशीनरी जिस तेजी से जुटी है उससे यहां भी कोरोना पर विजय पा ली गई और संतोष की बात यह है कि अब भीलवाड़ा में नया प्रकरण सामने नहीं आ रहा।
दरअसल कोरोना से बचाव के लिए दूसरे के संपर्क में नहीं आना जरुरी है। Prime Minister Narendra Modi प्रधानमत्री नरेन्द्र मोदी के आहवान पर जिस तरह से 22 मार्च को समूचा देश तालियां, घंटे-घडियाल, थाली-लोटा बजाने लगे वह सामूहिक एकता और समर्पण का उदाहरण है पर कुछ उत्साही लोगों द्वारा 22 मार्च को पांच बजते ही एकत्रित होकर जश्न जैसा माहौल बना देना गंभीर हो जाता है। ठीक इसी तरह से प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी की एक आवाज पर समूचे देश में ही नहीं अपितु विदेषों में भी 5 अप्रेल को रात 9 बजे है 9 मिनट के लिए घरों की लाइट बंद कर मोमबत्ती, दीपक, मोबाइल की लाइट आदि कर एकजुटता और कोरोना संघर्ष में जुट रहे डाक्टर्स, पेरामोडिकल स्टाॅप व वाॅलियंटर्स के सम्मान में दीपावली जैसा माहौल बना दिया गया वह हमारी सामूहिक मानसिकता को दर्शाता है। हांलाकि आलोचना प्रत्यालोचना और पटाखें छोड़ने को अतिउत्साहित कदम भी बताया जा रहा है पर खासबात यह है कि आज कोरोना के खिलाफ संघर्ष में सारी दुनिया एक हो चुकी है।
कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने का आइसोलेशन ही रोकथाम का एकमात्र विकल्प है कमोबेश देश के सभी राज्योें में गंभीर कदम उठाए जा रहे हैं। मुख्यमंत्री की संवेदनशीलता और गंभीरता को इसी से समझा जा सकता है कि जहां वीडियों काॅफ्रेंसिंग के माध्यम से जिला कलक्टरों से फीडबेक लेने के साथ ही आवश्यक दिशा-निर्देश दे रहे हैं वहीं स्वयं देर रात तक प्रतिदिन उच्चस्तरीय बैठकें कर प्रशासन को सक्रिय व व्यवस्थाओं को चाकचोबंद करने में जुटे हैं। सबसे अच्छी बात यह कि राजनीति से उपर उठकर केन्द्र व राज्योें में बेहतर समन्वय बनाया गया है।
इसमें कोई दो राय नहीं की कोरोना महामारी ने सारी दुनिया को हिला कर रख दिया है। लगता है नया साल दुनिया के लिए महामारी का प्रकोप लेकर आया और मार्च आते-आते समूची दुनिया को कोरोना महामारी ने अपने गिरफ्त में ले लिया। चीन से आरंभ कोरोना महामारी ने सारी दुनिया को हिला कर रख दिया है। चीन के साथ ही इटली, स्पेन, फ्रांस, जर्मनी, ईरान, टर्की, इंग्लैण्ड आदि में जहां गंभीर स्थिति हो गई वहीं विश्व की महाशक्ति अमेरिका भी आज सबसे गंभीर संकट में आ गया है। अमेरिका में सबसे ज्यादा 3 लाख 11 हजार से अधिक लोग संक्रमित मिले हैं। दुनिया के 194 देश कोरोना की चपेट में आ गए हैं और एक मोटे अनुमान के अनुसार 12 लाख 18 हजार से अधिक संक्रमण के मामलें सामने आ चुके हैं और कोरोना वायरस के कारण 65 हजार 841 लोग मौत के आगोश में आ गए हैं। दरअसल लाॅकडाउन की सख्ती से पालना करने के लिए सरकार को नहीं आम आदमी को आगे आना होगा। जर्मनी में तो दो से अधिक लोगों के एकत्र होने पर ही रोक लगा दी है। यह इसकी भयावहता को दर्शाता है। यही कारण है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सचेत किया है कि लाॅकडाउन को ही कफ्र्यू मानकर चलें नहीं तो सरकार को इससे भी कड़े कदम उठाने को बाध्य होना पड़ेगा।
दरअसल आज जिसे भीलवाड़ा माॅडल कह कर पुकारा जा रहा है वह स्थानीय प्रशासन द्वारा उठाए गए कदमों और आपसी तालमेल का अनूठा उदाहरण है। Bhilwara Collector Rajendra Bhatt भीलवाड़ा कलक्टर राजेन्द्र भट्ट ने स्थिति की भयावहता को समझा और भीलवाड़ा के निजी चिकित्सालय के प्रकरण के आते ही 20 मार्च को ही कफ्र्यू लगा दिया। जिले की सीमाओं को सील करना दूसरी बड़ा निर्णय रहा। इसके साथ ही स्थानिय निजी अस्पतालों और होटलोें को अधिग्रहित करने में देरी नहीं की। एक तरह से पूरे जिले को ही कोरेंटाइन कर दिया। लाॅक डाउन की सख्ती से पालना सुनिष्चित की। घर घर स्क्रिीनिंग की गई और चिकित्सकोें और पेरामेडिकल स्टाॅप सहित इस कार्य मंे लगे सभी वाॅलटिंयर्स की जिस तरह से हौशला अफजाई व मनोबल को बनाये रखा गया उससे स्थितियां बेहतर होती गई। देखा जाए तो भीलवाड़ा माॅडल को इस रुप में देखा जाना चाहिए कि प्रशासन, पुलिस और चिकित्सा स्वास्थ्य के साथ जिस तरह का बेहतरीन तालमेल बनाया गया और उच्च स्तर पर स्वयं मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा समूचे प्रदेश के साथ भीलवाड़ा की मोनेटरिंग करते हुए स्थितियों पर नजर रखी गई, निर्देश दिए गए और फील्ड में उनकी पालना हुई उसी का परिणाम है कि भीलवाड़ा आज रोल माॅडल के रुप में सामने आया है। केन्द्र और राज्य सरकार की एडवाइजरी की सख्ती से पालना का ही परिणाम है कि देष का मैनचेस्टर कहलाने वाला भीलवाड़ा आज एपीसंेटर से निकल कर माॅडल के रुप में उभर कर आया है।
जिस तरह से आज सारी दुनिया कोरोना महामारी से निजात पाने के लिए एकजुट हो गई है और जिस तरह से कोरोना ने सारी दुनिया को बांध के रख दिया है वास्तव में यह सोचनीय इस मायने में हो जाता है कि सिवाय आइसोलेशन या यों कहे कि सोशियल डिस्टंेस और सेनेटाइजिंग व संपर्क विहीनता की स्थिति के कोई विकल्प नहीं दिख रहा है। जल्दी ही इस महामारी से निपट लिया जाएगा पर अब वैज्ञानिकों के लिए भी नई चुनौती उभर कर आएगी कि इस तरह की महामारी से निपटने का कोई रोडमेप बन सके। खैर अभी तो देश के अन्य स्थानों पर भी Rajasthan राजस्थान के भीलवाड़ा जैसी दक्षता दिखानी होगी तभी सकारात्मक परिणाम प्राप्त हो सकेंगे। पूरा देशा ही नहीं अपितु समूची दुनिया जिस रणनीति, संवेदनशीलता और गंभीरता के साथ जुटी है और जिस तरह से धरती के भगवान अपनी पूरी टीम के साथ सेवा में जुटे हैं उसमें हमारी भागीदारी केवल और केवल निर्देशों की पालना करने और घर में ही अपने परिवार के साथ रहकर सजग नागरिक का दायित्व पूरा करना होगा। हमारी जरा सी लापरवाही कितना विकराल रुप ले सकती है इसे हमें समझना होगा। व्यक्त किए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत है ।
डाॅ. राजेन्द्र प्रसाद शर्मा
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