एक नियम की गलत परिभाषा से 57 साल बाद भी भाखड़ा-ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड में राजस्थान कभी स्थायी सदस्य नहीं बना


चंडीगढ़. इंदिरा गांधी नहर परियोजना के तहत पौंग डैम के 45% पानी का हिस्सेदार राजस्थान है। मगर 57 साल में इस पानी के प्रबंधन के लिए बनाए गए भाखड़ा-ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड (बीबीएमबी) में राजस्थान कभी स्थायी सदस्य नहीं रहा। स्थायी मेंबरशिप पंजाब-हरियाणा को ही मिलती रही। कारण ये कि हमारे किसी प्रतिनिधि ने नियमों को ठीक से पढ़ा ही नहीं। एक नियम की गलत परिभाषा के चलते बीबीएमबी में राजस्थान कभी अपना पक्ष ढंग से नहीं रख पाया। सालभर पहले केन्द्रीय जलशक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत काे भी हनुमानगढ़ के अभियंताओं से सच पता चला। फिर भी स्थायी मेंबर के लिए हमें दो साल इंतजार करना होगा। स्थायी सदस्य 3 साल के लिए बनता है और मौजूदा सदस्यों का दो साल का कार्यकाल बाकी है।


पंजाब का झूठ
पंजाब रिऑर्गनाइजेशन एक्ट के सेक्शन 79 के मुताबिक स्थायी सदस्य सिर्फ पंजाब और हरियाणा ही हो सकते हैं।


ये है सच्चाई
एक चेयरमैन व दो स्थायी सदस्यों की नियुक्ति का अधिकार केंद्र को है। यह पंजाब, हरियाणा, राजस्थान व हिमाचल में कोई भी हो सकता है।


हम तो तीन दशक से मांग उठा रहे हैं


राजस्थान के पूर्व सिंचाई मंत्री देवी सिंह भाटी ने बताया कि माेरारजी देसाई जब प्रधानमंत्री थे तब ये मुद्दा राजस्थान के सामने पहली बार उठा था। वे ज्यादा समय तक रहते ताे शायद मामला हल हाे जाता। हम तीन दशक से ये मांग उठा रहे हैं। 


बीबीएमबी चेयरमैन डीके शर्मा बोले- स्थायी सदस्य नियुक्ति का अधिकार केंद्र को किसी राज्य का नाम तय नहीं


सवाल- राजस्थान कभी बीबीएमबी का स्थायी सदस्य नहीं बना। ऐसा नियम है क्या?
जवाब- नियमों में केन्द्र सरकार को अधिकार है कि वह एक स्थायी चेयरमैन और दो स्थायी सदस्य की नियुक्त करे। वो कौन होंगे ये केन्द्र सरकार का फैसला होता है।
 


सवाल- पंजाब री-आर्गनाइजेशन एक्ट में किसी राज्य का नाम नहीं है। पंजाब- हरियाणा ही सदस्य बनते हैं


जवाब- आपका सवाल सही है पर जवाब केन्द्र के पास है। नियमों में किसी राज्य का नाम नहीं है। हिमाचल की भी यही शिकायत है।


सवाल- हरिके बैराज पर पानी से अक्सर छेड़छाड़ की जाती है, प्रशासनिक नियंत्रण बीबीएमबी के पास क्यों नहीं?


जवाब- ये भी केन्द्र सरकार को निर्णय करना है। इसको लेकर राजस्थान न्यायालय भी गया है मामला न्यायलय में है मैं इस पर कुछ नहीं कह सकता। 
 


सवाल- हरिके पर पानी ज्यादा हो तो राजस्थान को अतिरिक्त पानी देते हैं, जबकि जरूरत पर पानी कम मिलता है...
जवाब- ऐसी बात नहीं है। पानी राजस्थान को शेयर के हिसाब से पूरा मिलता है। फिर भी अगर ऐसा है तो मेरे तक बात आए मैं जरूर न्याय करता हूं।